) Himachal Pradesh ki Jheele
हिमाचल प्रदेश की झीले
1. बनावटी (कृत्रिम झीलें )
(ⅰ) गोविंद सागर झील -गोविंद सागर हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। यह झील बिलासपुर जिले में सतलुज नदी पर बनी है। इस झील की लम्बाई 88 किमी है। इस झील का क्षेत्रफल 168 वर्ग किमी है। इस झील के बनने से भाखड़ा बांध का निर्माण हुआ है|
Koldam
भाखड़ा बांध
भाखड़ा बांध (1963) जल विद्दुत क्षमता 1325 MW है।
Koldam
Koldam जल विद्युत स्टेशन जिसे आमतौर
पर Koldam
के नाम से जाना जाता है, Dehar Power
House के ऊपर सतलुज नदी पर एक तटबंध बांध है। यह
हिमाचल प्रदेश के बरमाना के पास चंडीगढ़-मनाली राजमार्ग (NH-21) से बिलासपुर से 18 किमी दूर है। बांध का मुख्य उद्देश्य पनबिजली उत्पादन है
और इसमे 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता
है। बांध का निर्माण
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम NTPC (National Thermal Power Corporation ) द्वारा किया गया है। निचे video में भी इसे देख सकते है|
बांध की आधारशिला
5 जून 2000 को प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा
रखी गई थी। 14 जनवरी 2004
को, बांध पर मुख्य
निर्माण शुरू हुआ ओर 2015 मे बनकर तैयार हो गया।
भाखड़ा बांध
भाखड़ा बांध (1963) जल विद्दुत क्षमता 1325 MW है।
(ⅱ) पौंग झील - यह झील काँगड़ा जिले में है। यह झील ब्यास नदी पर बनी हुई है। इसकी लम्बाई 42 किमी है। इस झील के पास पौंग बांध भी है, जो 1960 में बना था।
(ⅲ)पण्डोह झील - यह झील मण्डी जिले में ब्यास नदी पर बनी हुई है। इसकी लम्बाई 14 किमी है और यह हिमाचल प्रदेश की सबसे छोटी मानव् निर्मित झील है, जो नेशनल हाइवे-21 के किनारे है।
2. हिमाचल प्रदेश की प्राकृत झीले-
(ⅰ) चम्बा - (क ) गड़ासरु झील - 1 किमी , ऊंचाई- 3505 मी
(ख )खजियार - 0.5 किमी लम्बी , ऊंचाई - 1951 मी
खजियार को हिमाचल प्रदेश का स्विट्ज़रलैंड भी कहा जाता है।
(ग) लामा झील - ऊंचाई -3962 मी है, यह 7 झीलों का समूह है।
(घ) मणीमहेश झील - ऊंचाई-3950 मी है , यह कैलाश पर्वत के निचे स्थित है।
(ड़) चमेरा झील
(च) महाकाली झील - ऊंचाई- 3657 मी, देवी काली को समर्पित है।
(ⅱ ) काँगड़ा - (क) डल झील - ऊंचाई-1775 मी , धर्मशाला से 11 किमी दूर है।
(ख) करेरी झील - ऊंचाई- 1810 मी।
(ⅲ) मण्डी - (क) कुमारवाह झील -ऊंचाई -1350 मी।
(ख) पराशर झील - 2743 मी।
(ग) रिवालसर झील - इस झील को बौद्ध लोग पदमाचन भी कहते है। यह झील हिन्दू, सिख व् बौद्ध तीनो धर्म के लोगो का तीर्थ स्थान है। इसे तैरते हुए टापुओ की झील भी कहते है।
(घ) कुंत भयोग
(ड) सुखसागर झील
(च) कामरुनाग।
(ⅳ) कुल्लू - (क) मनतलाई झील- (पर्वती नदी का उद्गम स्थल ) 4116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है|
(ⅲ)पण्डोह झील - यह झील मण्डी जिले में ब्यास नदी पर बनी हुई है। इसकी लम्बाई 14 किमी है और यह हिमाचल प्रदेश की सबसे छोटी मानव् निर्मित झील है, जो नेशनल हाइवे-21 के किनारे है।
2. हिमाचल प्रदेश की प्राकृत झीले-
(ⅰ) चम्बा - (क ) गड़ासरु झील - 1 किमी , ऊंचाई- 3505 मी
(ख )खजियार - 0.5 किमी लम्बी , ऊंचाई - 1951 मी
खजियार को हिमाचल प्रदेश का स्विट्ज़रलैंड भी कहा जाता है।
(ग) लामा झील - ऊंचाई -3962 मी है, यह 7 झीलों का समूह है।
(घ) मणीमहेश झील - ऊंचाई-3950 मी है , यह कैलाश पर्वत के निचे स्थित है।
(ड़) चमेरा झील
(च) महाकाली झील - ऊंचाई- 3657 मी, देवी काली को समर्पित है।
(ⅱ ) काँगड़ा - (क) डल झील - ऊंचाई-1775 मी , धर्मशाला से 11 किमी दूर है।
(ख) करेरी झील - ऊंचाई- 1810 मी।
(ⅲ) मण्डी - (क) कुमारवाह झील -ऊंचाई -1350 मी।
(ख) पराशर झील - 2743 मी।
(ग) रिवालसर झील - इस झील को बौद्ध लोग पदमाचन भी कहते है। यह झील हिन्दू, सिख व् बौद्ध तीनो धर्म के लोगो का तीर्थ स्थान है। इसे तैरते हुए टापुओ की झील भी कहते है।
(घ) कुंत भयोग
(ड) सुखसागर झील
(च) कामरुनाग।
(ⅳ) कुल्लू - (क) मनतलाई झील- (पर्वती नदी का उद्गम स्थल ) 4116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है|
(ख) भृगु झील - इस झील पर भृगु ऋषि तपस्या करते थे |
(ग) दशहर झील - यह झील मनाली से 25 किमी दूर 4200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इस झील की मान्यता है कि यहाँ पर स्न्नान करने से अकबर की बेटी का अधरंग ठीक हुआ था |
(ग) दशहर झील - यह झील मनाली से 25 किमी दूर 4200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, इस झील की मान्यता है कि यहाँ पर स्न्नान करने से अकबर की बेटी का अधरंग ठीक हुआ था |
(घ) स्रयूल झील
(ड़) सरवालसर (सरयोलसर) झील- 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झील जालोरी दर्रे के दक्षिण-पूर्व में स्थित है| इस झील की देवी बूढी नागिन है जिसका मंदिर घियागी में है| अभी नाम की छोटी से चिड़िया इसके जल की सफाई करती है, यह बंजार उपमंडल में स्थित है |
(ड़) सरवालसर (सरयोलसर) झील- 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झील जालोरी दर्रे के दक्षिण-पूर्व में स्थित है| इस झील की देवी बूढी नागिन है जिसका मंदिर घियागी में है| अभी नाम की छोटी से चिड़िया इसके जल की सफाई करती है, यह बंजार उपमंडल में स्थित है |
(च) नैनसर झील - बाहरी सिराज में भीमद्वार और श्रीखंड महादेव के बीच 4000 मीटर की ऊंचाई पर यह झील स्थित है, यहाँ भीम ने गुफा तैयार की थी, श्रीखंड महादेव की यात्रा के समय तीर्थयात्री इसमें स्नान करते है |
(छ) द्योरी झील - यह झील सैंज घाटी में स्थित है |
(ज) हंसा झील - यह झील भी सैंज घाटी में स्थित है, बंजार उपमंडल में है |
(झ) डैंहनासर झील - यह झील 15000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है, इस झील के पास भगवान शिव ने त्रिशूल से डायन का वध किया था |
(ⅴ) लाहौल-स्पीति - (क) सुरजताल झील - ऊंचाई 4800 मीटर, भगा नदी की उद्गम स्थान बारालाचा दर्रे के समीप यह झील स्थित है।
(ख) चंद्रताल झील- ऊंचाई 4270 मीटर पर स्पीति में स्थित है, इस झील से चन्द्रा नदी निकलती है, यह झील रामसर साइट पर है |
(ख) चंद्रताल झील- ऊंचाई 4270 मीटर पर स्पीति में स्थित है, इस झील से चन्द्रा नदी निकलती है, यह झील रामसर साइट पर है |
(ग) दीपकताल झील - बारालाचा और दारचा के बीच 3200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित इस झील को सूरजताल झील का छोटा भाई माना जाता है |
(घ) धनकर झील - यह झील स्पीति में स्थित है |
(ड़) युनामसा झील - यह झील लाहौल में 4680 ऊँचाई पर स्थित है|
(च) सिस्सू झील - यह झील भी लाहौल स्पीति में स्थित है |
(छ) नीलकंठ झील - यह झील लाहौल के नैनगाहर घाटी में स्थित है इस झील में केवल पुरुषो को दर्शन करने की आज्ञा है, यह झील नीले रंग की है इसलिए इसे नीलकंठ कहा जाता है |
(ⅵ) शिमला- (क) चन्द्रनाहान झील - ऊंचाई 4267 मीटर ( रोहड़ू , शिमला में स्थित ) पब्बर नदी का उद्गम स्थल।
(ख) तानु जुब्बल झील (नारकण्डा )
(ग) गढ़ कुफर
(ख) तानु जुब्बल झील (नारकण्डा )
(ग) गढ़ कुफर
(घ) करली झील
(ग) बरादोनसर झील
(ⅶ) किन्नौर - (क) नको झील - ऊंचाई-3662 मीटर
(ⅶ) किन्नौर - (क) नको झील - ऊंचाई-3662 मीटर
(ख) सोरंग झील -
(ⅷ) सिरमौर - (क) रेणुका झील - यह हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है , जो 2.5 किमी लम्बी है। इसकी आकृति सोइ हुई स्त्री जैसी है। रेणुका भगवान परशुराम (विष्णु के छठे अवतार ) की माता है। रेणुका को अपने पुत्र परशुराम के हाथो बलिदान होना पड़ा, जिसने अपने पिता जमदग्नि की आज्ञा का पालन करते हुए ऐसा किया। जमदग्नि जामलु देवता के रूप में भी जाने जाते थे।
(ⅷ) सिरमौर - (क) रेणुका झील - यह हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी प्राकृतिक झील है , जो 2.5 किमी लम्बी है। इसकी आकृति सोइ हुई स्त्री जैसी है। रेणुका भगवान परशुराम (विष्णु के छठे अवतार ) की माता है। रेणुका को अपने पुत्र परशुराम के हाथो बलिदान होना पड़ा, जिसने अपने पिता जमदग्नि की आज्ञा का पालन करते हुए ऐसा किया। जमदग्नि जामलु देवता के रूप में भी जाने जाते थे।
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